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संता दो सिगरेट एक साथ पीता था.
पत्नी – “दो सिगरेट क्यों पीते हो ?”
संता – “दोस्त की याद आती है ना … एक मेरी होती है और एक मेरे दोस्त की … ”
कुछ दिनों बाद संता एक ही सिगरेट पीने लगा.
पत्नी ने पूछा – “दोस्त को भूल गए क्या ?”
संता – “नहीं पगली, मैंने सिगरेट पीना छोड़ दिया है … !!!
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संता दो सिगरेट एक साथ पीता था.
पत्नी – “दो सिगरेट क्यों पीते हो ?”
संता – “दोस्त की याद आती है ना … एक मेरी होती है और एक मेरे दोस्त की … ”
कुछ दिनों बाद संता एक ही सिगरेट पीने लगा.
पत्नी ने पूछा – “दोस्त को भूल गए क्या ?”
संता – “नहीं पगली, मैंने सिगरेट पीना छोड़ दिया है … !!!
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संता जब भी कपडे धोता , तब ही बारिश
हो जाती .
1 दिन धुप निकली तो वो खुश हुआ और दुकान पे
सर्फ लेने गया
वो जैसे ही दुकान पर गया बादल ज़ोर -ज़ोर से गरज़ने
लगे,.सांता फटाफट आसमान की तरफ मुह करके बोला.
क्या ???
किधर ???
मैं तो बिस्कुट लेने आया हूँ .,कसम से ...
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- संता: डाक्टर साहब मैं चश्मा लगाकर पढ़ तो सकूंगा न?
डाक्टर: हाँ हाँ बिल्कुल।
संता: थैन्क यू डाक्टर साहब आपने अनपढ़ आदमी की जिंदगी बना दी।
- Satyam ne Babban se poocha: Batao Aloo ke pakode me or Santa-Banta me kya samantaaye hain.
Babban: Bhai mujhe nahi pata, tu hi bata de.
Satyam: Sun, Aloo jab besan me "SANTA" hai tabhi toh pakoda "BANTA" hai. - एक बार संता और बंता बगीचे में बैठे बातें कर रहे थे कि तभी अचानक संता ने बंता से पूछा;
संता: तुम्हारी बीवी के दांतों का दर्द ठीक हुआ कि नहीं?
बंता: हां, डॉक्टर को दिखाते ही ठीक हो गया!
संता (हैरानी से): अच्छा, लगता है डॉक्टर बड़ा ही काबिल है जिस को एक बार दिखाने से ही सारा दर्द ठीक हो गया!
बंता: अरे काबिल वगैरह कुछ नहीं, बस उसने इतना कह दिया कि यह बुढ़ापे की निशानी है, बस फिर क्या था वो दिन है और आज का दिन, मेरी पत्नी ने दर्द की शिकायत ही नहीं की! - एक बार संता के घर में आग लग जाती है तो फायरब्रिगेड को फोन करता है, जहां बंता फोन उठाता है, बंता कि आवाज़ सुन संता कहता है;
संता: जल्दी आ जाओ मेरे घर आग लग गई है!
बंता: आग लग गयी है तो पानी डाला दो?
संता: डाला था, लेकिन फिर भी आग नहीं बुझी!
बंता: तो फिर हम आकर क्या करेंगे, हम भी तो पानी ही डालेंगे! - एक बार पोल्ट्री फार्म के निरीक्षण के लिए पोल्ट्री विभाग से एक इंस्पेक्टर आता और पोल्ट्री फॉर्म के मालिकों से सवाल पूछता है;
इंस्पेक्टर (पप्पू से): तुम मुर्गियों को क्या खिलाते हो?
पप्पू: बाजरा!
इंस्पेक्टर: खराब खाना, इसका चालान काटो और इसे गिरफ्तार कर लो!
उसके बाद इंस्पेक्टर बंता से भी वही सवाल पूछता है;
इंस्पेक्टर: तुम मुर्गियों को क्या खिलाते हो?
बंता: चावल!
इंस्पेक्टर: गलत खाना इसे भी गिरफ्तार कर लो!
सबसे अंत में इंस्पेक्टर संता के पास आता है और उससे भी वही सवाल पूछता है;
इंस्पेक्टर: तुम मुर्गियों को क्या खिलाते हो?
पप्पू और बंता की हालत देखने के बाद संता डरता हुआ इंस्पेक्टर से कहता है;
संता: जी हम तो मुर्गियों को 5-5 रुपए दे देते हैं और कह देते हैं कि जो तुम्हारी मर्जी हो जाकर खा लो! - एक बार संता रेल विभाग में लाईनमैन के पद के लिए साक्षात्कार देने जाता है तो वहां बैठा अफसर उससे कुछ सवाल पूछता है;
अफसर: संता मान लो तुम्हें पता चलता है कि तुम्हारे ट्रैक पर दो रेलगाडियां विपरीत दिशा से आ रही है और उनमें टक्कर होने वाली है तो तुम क्या करोगे?
संता: मैं आटोमेटिक लीवर से किसी एक ट्रेन को दूसरी लाइन पर स्थानांतरित कर दूंगा!
अफसर: अगर लीवर काम नहीं कर रहा हो तो?
संता: तो मै हाथ से लीवर को खींचने की कोशिश करूंगा!
अफसर: अगर वो भी ना हो सके तो?
संता: मै दोनो तरफ़ के स्टेशन मास्टरों को खबर करूंगा!
अफसर: अगर फोन भी काम नहीं कर रहा हो तो?
संता: मै लाल कपड़ा लेकर ट्रैक पर खड़ा हो जाऊंगा!
अफसर: अगर उस समय कोई लाल कपड़ा भी नहीं मिला तो?
संता: फिर मैं अपनी बीवी प्रीतो को बुलाऊंगा!
अफसर: क्यों, क्या वो कोई इंजीनियर है?
संता: नहीं, उसने कभी रेलगाड़ियों की टक्कर नहीं देखी ना! - फ़ौज की ट्रेनिंग के दौरान मेजर ने संता से पूछा;
मेजर: यह हाथ में क्या है?
संता: सर ये बंदूक है!
मेजर: ये बंदूक नहीं, हमारी इज्जत और शान है, तुम्हारी मां है!
उसके बाद ऑफिसर दूसरे सैनिक बंता के पास गया उससे भी वही सवाल पूछा;
मेजर: यह हाथ में क्या है?
बंता: सर ये संता की मां है, और हमारी आंटी है! - एक बार संता और बंता बगीचे में बैठे हुए होते हैं, कि तभी संता बंता से कहता है;
संता: यार आखिर जिंदगी में हम आराम कब करेंगे?
बंता: क्यों क्या हुआ?
संता: होना क्या है, जब दसवीं में थे तो पापा कहते थे बेटा बस इस साल मेहनत कर ले, फिर सारी जिंदगी आराम करना, फिर 11वीं में कहते थे, बेटा दो साल ठीक से पढ़ ले, फिर आराम से रहना, फिर इंजीनियरिंग में कहते थे, बेटा, बस डिग्री अच्छी तरह पूरी कर ले, फिर आराम रहेगा और अब डिग्री लेने के बाद कहते हैं, नालायक, यहां पड़ा-पड़ा आराम कर रहा है, काम पर कौन जाएगा!
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